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१. रिपु-रसा = शत्रु की जिह्वा कीर्ति, श्री एवं विजय प्रदायक

स्तम्भन-बाणाय धीमहि कनिष्ठाभ्यां नमः

जिह्वाग्रमादाय करेण देवीम्, वामेन शत्रून् परि-पीडयन्तीम् ।

स्तम्भनास्त्र-मयीं देवीं, दृढ-पीन-पयोधराम् । मदिरा-मद-संयुक्तां, वृहद्-भानु-मुखीं भजे ।।

इति ते कथितं देवि! कवचं परमाद्भुतम्‌। यस्य स्मरण-मात्रेण, सर्व-स्तम्भो भवेत् क्षणात् ।।१



हेम-कुण्डल-भूषां च, पीत-चन्द्रार्ध-शेखराम् । पीत-भूषण-भूषां च, स्वर्ण-सिंहासन-स्थिताम‌्

विनियोग- ॐ अस्य श्रीबगला-मुखी-कवचस्य श्रीशिव ऋषिः , पंक्ति: छन्द: श्रीबगला-मुखी देवता, धर्मार्थ-काम-मोक्षेषु पाठे विनियोग: ।

अर्थात् ‘राक्षसों द्वारा किए गए अभिचार की निवृत्ति के लिए वैष्णवी महा-शक्ति को प्रतिपादन करनेवाली महा-वाणी को इन्द्र से कहो’ इत्यादि प्रसङ्ग में बगला-मुखी विद्या का स्वरूप वेद ने परम-रहस्य रूप से बताया है।

अन्त में भगवती बगला का मानसिक पूजन करना चाहिए। यथा-

Inside the practice of Baglamukhi, it's important to deal with purity, principles, and cleanliness. Baglamukhi Sadhana ought to be carried out only just after inquiring or knowing from an expert.

‘साधक’ की ‘दाहिनी भुजा’ तथा ‘पत्नी’ की ‘बॉई भुजा’ में धारण करने से ‘साधक’ को सर्वत्र

१०. श्रीभगाम्बायै नमः ऐश्वर्य-दात्री-शक्ति को नमस्कार।

get more info ऋषि भी श्रीभैरव जी हैं, किन्तु इसको पूछनेवाली श्रीपार्वती जी हैं और बतानेवाले श्रीशङ्कर

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